5 Essential Elements For apsara sadhna
5 Essential Elements For apsara sadhna
Blog Article
आत्मिक ऊर्जा को जागृत करें, पूरी जानकारी
स्थान: अप्सराएं स्वर्गीय नायिकाओं के रूप में प्रस्तुत की जाती हैं जो अप्सरा लोक में निवास करती हैं। वहां स्वर्ग के दिव्य वातावरण में रहती हैं। परी भी स्वर्गीय होती हैं, लेकिन उनका मुख्य निवास पर्वतों, जंगलों या नदी-तटों में होता है।
माँ बगलामुखी शत्रु विनाशक कवच – शत्रु बाधा, कोर्ट केस व तंत्र से सुरक्षा के लिए
अप्सरा साधना के नियम - यक्षिणी के साधना के नियम
Apsara Sadhana will let you in manifesting your coronary heart’s desire. Nonetheless, it shouldn't have an impact on some other person’s life.
Additional from this Author Bhairavi Sharma is undoubtedly an creator of three novels on Amazon. She is practising meditation from the time she was 10 years previous. Whichever she shares on her individual site and in this article, on Mystical Bee, comes from looking at, exploration and encounter.
कामेच्छी अप्सरा साधना महत्व : इन अप्सराओं की समृद्धि समर्थ समझकर अनेकों ऋषियों और राजाओं ने इनकी साधनाएं की अथबा ब्राह्मणों से कराई । जिसके कारण इनमें कई अप्सराएं धरा पर इन साधकों के पास अतुल बैभब के साथ दीर्घकाल तक रहीं । इनमें राजा पुरूरूबा और बिश्वामित्र के अपाख्यान लोक प्रसिद्ध हैं ।
गुरु की शरण में आवेश: सबसे पहले, साधक को अप्सरा साधना को सिद्ध करने के लिए एक प्रमुख गुरु की शरण में आना चाहिए। गुरु के मार्गदर्शन में साधक अप्सरा साधना के उपायों और तकनीकों को सीखता है।
You need to continue to be awake during the night time (from 9pm to 5am) to accomplish this Sadhana and get it done fearlessly. Hence, sit in a very place where you really feel safe, shielded and continue being undisturbed.
मनोवैशिष्ट्य: अप्सराएं अनेक विविध मनोवैशिष्ट्यों से सम्पन्न होती हैं। उनकी प्रभावशाली वाणी, मुखाभिव्यक्ति, और वाणीकरण शक्ति भी उन्हें शक्तिशाली बनाती हैं।
शत्रु नाशक हनुमान मंत्र – गुप्त शत्रु की उल्टी गिनती शुरू
वस्त्रधारण: अप्सराएं आकर्षण और उनके सौंदर्य को बढ़ाने के लिए विशेष रूप से विभिन्न प्रकार के वस्त्र पहनती हैं। उनके वस्त्र भी आकर्षण का कारण बनते हैं।
बगुलामुखी उपासना में हल्दी की माला का उपयोग करें।
इस अप्सरा की कामेच्छा कभी शांत नहीं होती सदैब यह कामपीडित बनी रहती है इसीलिए इसका नाम कामेच्छी पडा है। इसका अनुष्ठान सरल है । सोमबार के कमलधारिणी देबी का चित्र ले। एकान्त स्थान पर रात्रि में उक्त मंत्र से check here पूजा कर ७ दिन तक हकीक माला से ११००० जप करे तो देबी सिद्ध हो जाती है प्रभाब स्वयं पता चलता है ।